किसी भूकंप के समय भूमि के कंपन के अधिकतम आयाम और किसी आर्बिट्रेरी छोटे आयाम के अनुपात के साधारण गणित को 'रिक्टर पैमाना' कहते हैं. 'रिक्तर पैमाने' का पूरा नाम रिक्टर परिमाण परीक्षण पैमाना (रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल) है और लघु रूप में इसे स्थानिक परिमाण (लोकल मैग्नीट्यूड) है.
क्यों आता है भूकंप- धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से मिल कर बनी है. जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं, प्लेट्स एक दूसरे से रगड़ खाती हैं, उससे अपार ऊर्जा निकलती है, और उस घर्षण या फ्रिक्शन से ऊपर की धरती डोलने लगती है, कई बार धरती फट तक जाती है, कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और भूकंप आते रहते हैं, इन्हें आफ्टरशॉक कहते हैं.
जानें रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता के हिसाब से क्या हो सकता है असर:
0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है.
2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है.
3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर होता है.
4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं. दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं.
5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है.
6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है. ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है.
7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं. जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं.
8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं.
9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर पूरी तबाही. कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी. समंदर नजदीक हो तो सुनामी. भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है.