"सैर कर दुनिया की गाफिल ,जिन्दगानी फिर कहां
जिन्दगी गर कुछ रही,तो नौजवानी फिर कहां"
नमस्कार मेहता जी,आज आपकी कलाकारी देख राहुल सांकृत्यायन की ये कुछ पंक्तियां याद आयी,
सच में मन करता है कि इस तरह के आलौकिक नजारों का दीदार काश हम भी कर पाते|
सच में आज की ये तस्वीर देख कर यह प्रतीत हुआ है की,हो न हो राजा महाराजा किसी ऐसे ही महल में निवास करते रहे होंगे,हां रंगों का तालमेल का तो नहीं कह सकता,क्यों कि ये ताल मेल आप से बेहतर कोइ नहीं कर सकता!
बहुत बहुत धन्यवाद!
आनन्द आ गया
🙏
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aapko anand aa gaya, mere liye yahi badi baat hai. Meri yahi kamna hai bas aapko mai ese hi khush karta rahu.
aapke comment ke liye dhanyawad.