आपका लक्ष्य हैं कि गायों पर अत्याचार कम हो। पर अगर गाय का दूध पीना बंद कर दिया तो यह अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर होगा।
अगर दूरदर्शिता के बिना सोचे तो अपकी बाते बहुत अच्छी लगती हैं पर क्या यह काम करेगा?
जब तक भारत में मोटर नहीं आया था उस समय बैलों की मदद से सभी काम होते थे।इस तरह बैलों की उपयोगिता बनी हुई थी।पर जैसे ही मोटर आया फिर क्या हुआ?
एक मोटर बनता और एक बैल कत्लखाने में!!
क्योंकि हमने बैलो की उपयोगिता खत्म कर दी।खेती भी बैलों के बिना होने लगी तो बैंलो पर और अत्याचार बढा।
अब अगर गाय का दूध पीना ही बंद करदे तो क्या होगा वो समझ ही रहे होंगे।
जो अत्याचार हो रहा हैं वो अमूल-मदर डेरी और पैसो के भूखे जैसो के कारण हो रहा हैं।
इसका फिर उपाय तो यह हुआ कि इन कंपनियों और ऐसे नराधम तरह के लोगो से दूध लेना ही बंद करना चाहिए।न कि गाय का दूध पीना बंद कर देना चाहिए ।
गाय का दूध पीना बंदकर देना चाहिय यह पश्चिम के विचार हैं और इस विचार को भारत में लागू करना आत्मघाती होगा।