अक्सर गाहे बगाहे पूछते है लोग घर कहाँ है आपका🏵️
✍️✍️मैं और मेरा आशियाना कहाँ
ऊंचे पहाड़ों की तलहटी में समाहित,
नन्ही कलियों में हो मुमकिन🌹
मैं और मेरा ठौर ठिकाना कहाँ
मासूम बच्चों की तबस्सुम में बसी,
मीठी चहक लिए गलियों में हो मुमकिन🌼
मैं और मेरा रेन बसेरा कहाँ
कहीं पुरानी यादों के सहारे लिखे,
खत के अफ़साने में हो मुमकिन🌿
मैं और मेरा डेरा कहाँ
अनवरत बहती भारतीय संगीत की,
सुर लहरियों में हो मुमकिन🌻
🌹#Chanchalankushmurdia25✍️रंग🌹
मैं और मेरा कुटुम्ब कहाँ
बचपन की पहली चाहत में गुजरते हुए,
बहक जाने में हो मुमकिन!
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