साधना Practice Hindi english Storie

in #practice6 years ago

         **साधना Hindi Storie**

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में नदी के किनारे पर एक साधू की कुटीया थी| एक दिन साधू ने देखा की उनकी कुटिया के सामने वाली नदी में एक सेब तेरता हुआ आ रहा है| साधू ने सेब को नदी से निकाला और अपनी कुटिया में ले आए| महात्मा सेब को खाने ही वाले थे की तभी उनके अंतरमन से एक आवाज आई – “क्या यह तेरी सम्पति है ? यदि तुमने इसे अपने परिश्रम से पैदा नहीं किया है तो क्या इस सेब पर तुम्हारा अधिकार है ?
अपने अंतर्मन कि आवाज सुन साधू को आभास हुआ की उसे इस फल को रखने और खाने का कोई अधिकार नहीं है| इतना सोचकर साधू सेब को अपने झोले में डाककर सेब के असली स्वामी की खोज में निकल पड़े| थोड़ी दूर जाने पर साधू को एक सेब का बाग़ दिखाई दिया| उन्होंने बाग के स्वामी से जाकर कहा – “आपके पेड से यह सेब गिरकर नदी में बहते-बहते मेरी कुटिया तक आ गया था, इसलिए में आपकी संपत्ति लौटाने आया हूँ|”
वह बोला, “महात्मा, में तो इस बाग़ का रखवाला मात्र हूँ! इस बाग़ की स्वामी राज्य की रानी है|” बाग़ के रखवाले की बात सुनकर साधू महात्मा सेब को देने रानी के पास पहुंचे| रानी को जब साधू के सेब को यहाँ तक पहुँचाने के लिए लम्बी यात्रा की बात पता चली तो वह बहुत आश्चर्यचकित हुई| उन्होंने एक छोटे से सेब के लिए इतनी लम्बी यात्रा का कारण साधू से पूछा| साधू बोले, “महारानी साहिबा! यह यात्रा मैंने सेब के लिए नहीं बल्कि अपने ज़मीर के लिए की है| यदि मेरा ज़मीर भ्रष्ट होई जाता तो मेरी जीवन भर की तपस्या नष्ट हो जाती|
साधू की ईमानदारी से महारानी बड़ी प्रसन्न हुई और उन्होंने साधू महात्मा को राजगुरु की उपाधि से सम्मानित कर उन्हें अपने राज घराने में रहने का निमंत्रण दिया|
तो दोस्तों इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि हमें हर परिस्थिथि में इमानदार रहना चाहिए क्योंकि इमानदार व्यक्ति हमेशा सम्मान पाता है|

      **Practice English Storie**

Long ago, there was a monk's hut on the bank of the river in a forest. One day the sadhus saw that an apple in the river in front of his cottage has been burning. The sadhus took the apple out of the river and brought it to its hut. The Mahatma was going to eat apples, only then a voice came from his intercession - "Is this your property? If you have not created it from your own diligence then do you have this right on this apple?
The sadhus realized that his inner voice heard that he has no right to keep this fruit and eat it. Thinking about this, the sadhus went into the search of apple's real master by posting the apple in his bag. On going a little distance the monk saw an apple garden. He went to the owner of the garden and said - "The apple from your tree had fallen to the river, flowing through the river, so I came to return your property."
He said, "In the Mahatma, I am only the keeper of this garden! The lord of this garden is the queen of the kingdom. "After listening to the garden guard, the sadhu Mahatma reached the Queen to give the apple. When the Queen came to know about the long journey to reach the sadhu's apple, she was very surprised. He asked the sadhu why he had such a long journey for a small apple. The sage said, "Maharani Sahib! This journey is not for apple but for my conscience. If my conscience was corrupted then the penance of my lifetime would have been destroyed.
Sincerely, Maharani was very pleased and he honored Sadhu Mahatma with the title of Rajguru and invited him to live in his Raj Gharana.
Friends, this story teaches us that we should be honest in every situation because the honest person always gets respect.

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