OSHO

in #people6 years ago

"हम सभी आंशिक जीवन जी रहे हैं।
हम आंशिक रूप से प्रेम करते हैं: जाहिर है यह बहुत छद्म, बहुत सतही, बहुत अवास्तविक और झूठा होने वाला है - एक धोखाधड़ी और कुछ भी नहीं।
हम आंशिक रूप से ध्यान कर रहे हैं।
लेकिन इस तरह कुछ भी नहीं होता ....
कुछ भी अगर आंशिक हो तो वह एक प्रवंचना ही होने वाला है। यहां हमें समग्रता की भाषा सीखीनी होगी" ओशो