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#साधु निक्कमे क्यों हैं????
अप्रैल 2013,,मेरा दुबई जाने के लिए वीजा लग चुका था,,
उस समय मैं #आर्यसमाजी था,, तो मूर्तिपूजा को गाली देना, अपने को ही सबसे बड़ा विद्वान मानना,,अपनी संत परंपरा में श्रद्धा न होना,,महर्षि दयानंद को ऋषि,, और #सत्यार्थप्रकाश को एकमात्र ग्रंथ मानना,बस यही मेरा संसार था,,
ऋषि #दयानंद सरस्वती जैसे विरले सन्त कभी कभी इस पृथ्वी पर आते हैं,,, मानवता ऋणी है उनकी,, लेकिन ये दोष उनका है जो बाल मन में ऋषि का स्वरूप सिर्फ मूर्ति पूजा का विरोध करना भर देते हैं,,,
मैं युवा था उत्साही था,, लेकिन फिर भी लोग मुझसे कटते जा रहे थे,, कुछ लड़कों का ग्रुप मेरे साथ रहता, वो भी मेरी ही विचारधारा के,,
मेरी माँ मुझसे परेशान थी,, वो #शिव को मानती थी,, पूजाघर में शिव की मूर्ति थी,, मैं उसकी चोटी पकड़कर छत पर रख आता धूप में,,
मुझे ये लगने लगा था कि लोग बिल्कुल #धर्मभ्रष्ट हैं,,
और साधु #सन्यासी बैठे हैं मठो में,, खा रहे हैं #हलवा पूरी,, औरतों से पैर दबवा रहे हैं,, सच पूछो तो बोझ हैं धरती के,,
मेरा मानना था कि तमाम #मन्दिरों को तोड़कर स्कूल, अस्पताल बनवा देने चाहिए,,
साथ में ये भी मन में रहता था कि जब मेरे पास इतनी अच्छी अच्छी योजनाएं हैं तो भी लोग मान क्यों नहीं रहे हैं,,
और उल्टा मुझे कहते हैं कि ये लड़का #नास्तिक हो गया है,,
जबकि मैं खुद को #ऋषि दयानन्द का सच्चा सिपाही और ईश्वर के सही निराकार स्वरूप को जानने वाला मानता था,,,,
लेकिन हर जीवन में कुछ पल बदलाव के आते ही हैं,, वो #ईश्वर दयालु है,, वो भेजता है आपके लिए कुछ लोगों को जो आपको दिखाएं नए मार्ग,,
ताकि आप फिर से यात्रा शुरू कर सको,,,,
मेरे लिए भी उसने मास्टर प्लान तैयार रक्खा था,,,,,और उन्होंने मेरे लिए मेरे गाँव में भेजा आचार्य #बलदेव जी को,,
शेष कल,,,,,,
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Keep posting ,great content
धन्यवाद भाई जी
Interesting story
धन्यवाद
upka post kids upvote kiya agr upka Mon cheya to mera post me upvote kijiya
जी जरूर