आज के भागते दोड़ते जीवन में लोग अपने आप को ही भूलते जा रहे और सच में खुशिया किया वाही भूल गए बस एक अंधी दोड लगा रहे आज जे जीवन में इंसान अपने परिवार के लिए सबकुछ उपलब्ध करवा देता सिर्फ अपने आपको नहीं वो कभी अपने परिवार के साथ बेथ के खाना नहीं खता हे हर इंसान को एक फिर सोचने की जरुरत हे की किया यही वह खुसिया हे जिसके पीछे वो एक मशीन की तरह दोड रहा हे किया यही वाही खुसिया हे जिसे उसका परिवार चाहता हे
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