You are viewing a single comment's thread from:

RE: धर्म का प्राणतत्व : विनय (भाग # २) | The Life of Religion : Modesty (Part # 2)

in #life7 years ago (edited)
बिल्कुल सही पहले के जमाने में गुरु और शिष्य की बातें बिल्कुल अलग थी,आज के जमाने में बिल्कुल अलग है...........ना वैसे गुरु मिलते हैं और ना शिष्य।