आपके विचार अद्दभूत है. हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधीने सत्य की राह पर चलकर देश को आजादी दिलाइ. सत्य में बहुत ताकत है. विडंबना ये है की सत्य की राह पर चलने वाले को तकलीफें बहूत आती है. विश्वास डगमगां जाता है. मन विचलित होने लगता है. लेकिन अगर इन्सान अटल रहे, धैर्य के साथ आगे बढता रहे, एक लक्ष्य बनाकर चले तो मंजिल मिलना तय है ईसमें कोई दो राय नहि. हमारें अन्ना हजारेजीने पण सत्य का सहारा लिया और लोगों में विश्वास का माहोल खडा किया. भारत के एक उज्जवल भविष्य का रास्ता दिखाया. एसी कई प्रतिभाए भारत में है जिन्होनें सिर्फ सत्य को ही अपना साथीदार बनाया.
हिन्दी एक एसी भाषा हे जो पढनें में अपनापन लगता है. यहां पर हिन्दी भाषा का बहुत कम इस्तमाल होता है. लेकिन आपका ये आर्टीकल सराहनिय है. आपसे निवेदन है कि बस एैसे ही आर्टीकल लिखते रहै. बहुत बहुत धन्यवाद.
इसमें कोई भी शक या शुमार नहीं है कि सत्य अजेय, अमर और बहुत ही ताकतवर है. आजकल इसकी राह पर चलने वालों के रास्ते में बहुत कठिनाइयाँ आती है. परन्तु हमें इसका दामन कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए.@printskill आपके प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद.