अहिंसा हमेशा हमें मानवता के प्रति सजग करती है. डर, लालसा, नफरत और भेदभाव के चक्र को तोड़ती है. अहिंसा ’स्व’ पर ’राज’ यानि पूर्ण नियंत्रण का रास्ता है. ये ऐसी अवस्था है जिसमें शोषित को शोषक से और शोषक को शोषण की आदत से छुटकारा दिलाती है. शोषित और शोषक, दोनों को ही दमन का चक्रव्यूह तोड़ना सिखाती है.
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