You are viewing a single comment's thread from:RE: सुख : स्वरूप और चिन्तन (भाग # १) | Happiness : Nature and Thought (Part # 1)View the full contexthrj333 (32)in #life • 6 years ago हालात के मारे लोगों की सेवा करके जो सुख मिलता है। उसका दुजा कोई सुख मुकाबला नहीं कर सकता।