बाल्यकाल से ही विवेकानन्द जब प्रत्येक रात्रि को सोने से पहले अपनी आँखें बन्ध करते तो भूमध्य में ऐक जगमगाता हुआ प्रकाश बिन्दु उन्हें दिखायी देता । यह प्रकाश-बिन्दु रंग बदलता हुआ शनै: शनै: विस्तृत होने लगता तथा गेंद के आकर का होते होते फट जाता और सिर से लेकर पाँव तक उनका पुरा शरीर श्वेत प्रकाश में नहा जाता । वर्षों तक बालक विवेकानन्द यही सोचते रहे कि हर किसी का सोने के समय का यही अनुभव होता होगा । इस प्रकाश का महत्त्व विवेकानन्द को तब समझ में आया जब उन्हें महान संत रामकृष्ण परमहंस के दर्शन हुए और जिनकी कृपा से उनकी अन्तर शक्ति जागृत हुई ।
अट्ठारह वर्षीय विवेकानन्द कॉलेज के छात्र थे और अपने मित्रों तथा शिक्षकों से जीवन के स्वरूप के विषय में वाद-विवाद करते रहते थे ।
रामकृष्ण से उनकी प्रथम भेंट उनके एक मित्र के घर आयोजित एक सत्संग में हुई ।
संत रामकृष्ण ने उन्हें अपने घर आने का निमन्त्रण दिया, जो एक मन्दिर के परिसर में था । दूसरी भेंट के अवसर पर रामकृष्ण, युवा विवेकानन्द को एक पृथक कमरे में ले गये और उन्हें बताया कि उनका जन्म दैवी शक्ति की प्रेरणा से हुआ है । उन्होंने कहा कि वे जाने कब से विवेकानन्द के आने की प्रतीक्षा में थे । उस दिन विवेकानन्द को संत रामकृष्ण के सान्निध्य में बहुत समय तक रहने का अवसर प्राप्त हुआ जिससे उनकी अपनी चेतना, अपनी समझ में अभूतपूर्व परिवर्तन आने लगा ।
अब विवेकानन्द श्री रामकृष्ण के दर्शन को कलकत्ता से दक्षिणेश्वर अक्सर आने लगे । ईश्वर और आत्मा के एकरूप होने की समझ उत्पन्न करने के लिए जब श्री रामकृष्ण उन्हें वेद की पुस्तकें पढ़ने को कहते तो विवेकानन्द प्रतिरोध में बोल उठते, “इसमें एवं नास्तिकता में भेद ही क्या है? जिस आत्मा का सृजन किया गया है वह अपने को सृजनकर्ता किस तरह से कह सकता है? इस से बढ़कर पाप और क्या हो सकता है? यह सब क्या मूर्खता है - मैं ईश्वर हूँ, आप ईश्वर है, जो वस्तु उत्त्पन्न होती है और मृत्यु को प्राप्त होती है सब ईश्वर है? इन पुस्तकों के, इन वेदों के लिखने वाले सभी विक्षिप्त बुद्धि वाले होंगे वरना, ऐसी मूढ़ता की बात भला किस प्रकार लिख सकते थे?”
एक दिन विवेकानन्द श्री रामकृष्ण के एक अन्य भक्त के साथ वेदान्त की मूर्खता पर ठिठोली कर रहे थे । उन्होंने पूछा —“ क्या यह हो सकता है की लोटा भी भगवान है और गिलास भी, और भी जो कुछ हम देखते हैं तथा हम सब भगवान हैं?” इन विचारों की बेवक़ूफ़ी पर जब दोनों हँस ही रहे थे तभी श्री रामकृष्ण उधर आ निकले और उनसे हँसने का कारण पूछा, परन्तु उत्तर सुनने से पूर्व ही उन्होंने अपने स्नेहभरे हाथ से विवेकानन्द को स्पर्श किया ।
“और तब,” विवेकानन्द ने बाद में बताया, “मेरे गुरु के अनूठे स्पर्श से मेरे मन में पूर्ण क्रान्ति ही हो गयी । जब मुझे यह बोध हुआ कि वस्तुतः इस समस्त ब्रह्माण्ड में ईश्वर के अतिरिक्त कुछ भी नहीं । मैं अवाक् रह गया ।”
इस अनुभूति के पश्चात् काफ़ी समय तक वे एकदम शान्त रहे और सोचते रहे कि कब तक इस अनूठे बोध की अनुभूति बनी रहेगी । यह अनुभूति पूरे दिन उनके साथ रही । जब वे घर गये तो घर में प्रवेश करते ही उन्हें उसी आनन्द, उसी दिव्यता की अनुभूति हुई जो उन्हें दक्षिणेश्वर में हुई थी ।
“जो कुछ भी मैं देखता था वह केवल ईश्वर था, केवल ईश्वर... और ईश्वर के सिवा कुछ नहीं ।”
उनकी माँ ने उन्हें भोजन परोसा । जैसे ही वे भोजन करने बैठे, भोजन में, थाली में, भोजन परोसती हुई माँ में, और स्वयं अपने में केवल भगवान को ही देख कर वे अभिभूत हो उठे । किसी प्रकार दो निवाले खाने के बाद, बिना हिले, बिना बोले, शान्त, भोजन की मेज़ पर बैठे रह गये । उन्हें इस स्थिति में देखकर उनकी माँ ने पूछा, “तुम इतने शान्त क्यों हो? भोजन क्यों नहीं करते?”
यह प्रश्न सुनकर एक झटके से वे वर्तमान में अपने शरीर की चेतना में पुनः लौट आये । ऐसे ही दिन भर में कितनी ही बार खाते, पीते, सड़क पर चलते, कक्ष में बैठते — यही नशा, यही मस्ती उनकी पूरी सत्ता पर छा जाती थी । उस समय अपने इस दिव्य अनुभव के लिए वे केवल इतना ही कह पाये कि इसका वर्णन ‘शब्दों के परे है ।’ परन्तु आने वाले वर्षों में उन्होंने अपनी इस स्थिति का सुंदर वर्णन किया । अद्वैतवाद के दर्शन का पश्चिम में प्रचार करने वाले प्रथम भारतीय वेदांतिन बने तथा उन हज़ारों लोगों को इस सर्वोच्च ज्ञान का बोध दिया जो सम्भवत: इसके विषय में जीवन में कभी न जान पाते ।
Hello @dgmevada!
I noticed you have posted many times since you began your journey on Steemit. That is great! We love active partipants.
I do want to point out that the Introduceyourself tag is meant to be used once only to introduce yourself to the Steemit community. You have now posted 7 times using the introduceyourself tag. Please see this link for more information on Tag Spam?
This is the 3rd time we have discussed this issue. The bot will begin to automatically flag any additional posts you make in the introduceyourself tag.
Hi and welcome here! When I started on steemit, my biggest problem was to find interesting people to interact with. So, to help newcomers getting started I created a directory with other interesting and or talented steemians to follow or interact with. Feel free to check it out at https://www.steemiandir.com I am sure it will help you find like-minded people. Enjoy your stay here and do not hesitate to contact me if you have any questions!
Welcome to Steem dgmevada! Partiko is officially the fastest and most popular mobile app for Steem. Unlike other Steem apps, we take 0% cut of your earnings! You can also be rewarded with Partiko Points while using Partiko and exchange Partiko Points for upvotes!
Partiko for Android can be downloaded here on Google Play and the iOS version is available here on the App Store.
If you have more questions, feel free to join our Discord channel and ask @crypto.talk, we're always here to help!
Thank you so much for your interest!
Congratulations @dgmevada! You have completed the following achievement on the Steem blockchain and have been rewarded with new badge(s) :
Click here to view your Board
If you no longer want to receive notifications, reply to this comment with the word
STOP
To support your work, I also upvoted your post!
Do not miss the last post from @steemitboard:
Vote for @Steemitboard as a witness and get one more award and increased upvotes!