: जहां बाजार में एक किलोग्राम गुड़ 40-45 रुपए तक मिल जाता है, वहीं हरियाणा के सिरसा जिला के एक किसान का गुड़ उसके खेत से ही 70 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक जाता है। यह किसान एक एकड़ गन्ने से खुद गुड़ बनाकर बेचने से लगभग 4.50 लाख रुपए की कमाई करता है।
जी हाँ, सिरसा जिले की रानिया तहसील के गांव संतनगर निवासी 36 वर्षीय युवा किसान बुध सिंह ने अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल करते हुए गन्ने को बेचने की जगह उससे गुड़ बनाकर बेचना शुरू कर दिया। आज वह एक एकड़ गन्ने से औसतन 64 क्विंटल गुड़ बनकर 70 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से अपने खेत पर ही बेच लेता है।
कैसे शुरू किया गुड़ का व्यवसाय?
आरएमएल एगटेक के साथ बातचीत करते हुए बुध सिंह ने बताया कि पहले वह पंजाब से अपने मामा के घर से गुड़ लाते थे। तकरीबन 8 साल पहले उन्होने अपने मामा से गुड़ बनाने की तकनीक सीखी और उन्हीं से बीज लाकर 2 कनाल (1/4 एकड़) जमीन पर गन्ने की खेती शुरू कर दी।
जब गन्ना कटाई के लिए तैयार हो गया तो वह गन्ना पिराई के लिए 60 हजार रुपए का कोल्हू व 16 हजार रुपए के रस पकाने वाले कड़ाहे भी पंजाब से ही खरीद कर लाए। अपने ट्रैक्टर से कोल्हू को जोड़ कर गन्ना पिराई का काम किया व गुड़ तैयार करने लगे। इसके बाद उन्होने एक एकड़ में गन्ना लगाना शुरू कर दिया और उनका गुड़ खेत से ही हाथो हाथ बिकने लगा।
3 महीने पशुओं के लिए भी उपलबद्ध रहता है चारा
बुध सिंह के अनुसार वह एक एकड़ गन्ने की कटाई दिसंबर से लेकर मार्च तक लगभग 3 महीने लगातार करते हैं। हर रोज पशुचारे की जरूरत के अनुसार गन्ना काटते हैं, उसके पत्ते पशुओं को खिलाए जाते हैं और उसी गन्ने से गुड़ बनाते हैं। इस प्रक्रिया में वह परिवार समेत खुद ही काम करते हैं।
वह एक एकड़ से औसतन 700 क्विंटल गन्ना प्राप्त करते हैं जिससे लगभग 64 क्विंटल गुड़ प्राप्त होता है जो 70 रुपए प्रति किलोग्राम बिकता है। यही नहीं वह शक्कर भी बनाते हैं जिसकी कीमत 125 रुपए प्रति किलोग्राम रखी गई है।
अतिरिक्त आमदनी का साधन भी बन रहा है कोल्हू
बुध सिंह का कोल्हू उनके लिए अतिरिक्त आमदनी का जरिया भी बनता जा रहा है। असल में सिरसा जिला में गन्ने की फसल अधिक नहीं होती। उनकी की देखा देखी कुछ किसानों ने भी गन्ना उगाना शुरू कर दिया है। लेकिन उनके पास अपना गुड़ बनाने की सुविधा न होने के कारण वह सब भी बुध सिंह के कोल्हू पर ही गुड़ बनवाने पहुँचते हैं।
कड़ाहे में एक बार में 75 लीटर गन्ने का रस डाला जाता है (जिसे एक पूर कहते हैं) इससे लगभग 12-15 किलोग्राम गुड़ बनता है। बुध सिंह के अनुसार वह एक पूर के लिए 200 रुपए किराया लेते हैं। पिछले स्तर में उनके क्षेत्र से तकरीबन 70 किसान उनके पास गुड़ बनवाने आए, जिससे उन्हें 30 हजार रुपए की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हुई।
बाकी फसलों से भी लेते हैं अच्छा उत्पादन
हालांकि उनके पास 40 एकड़ पारिवारिक जमीन है, जिसमें से 1 एकड़ में गन्ने के अलावा बाकी जमीन में वह कपास, धान व गेहूं आदि की फसलें लेते है। उनका कहना है कि गत खरीफ सीजन में उनके खेत पर 35 एकड़ में 2851 किस्म का गेहूं था जिससे उन्हें औसतन 30 क्विंटला प्रति एकड़ की पैदावार मिली है।
आरएमएल की जानकारी से हो रहे हैं लाभान्वित
किसान बुध सिंह के अनुसार वह किसी खेतीबाड़ी संस्थान में नहीं गए, उन्हें तो आरएमएल से ही खेतीबाड़ी की जानकारी प्राप्त हो रही है। उन्होने बताया कि कुछ समय पहले उनके चचेरे भाई डॉ मंजीत सिंह (जो केन्द्रीय विद्यालय में शिक्षक हैं) ने उन्हे आरएमएल एप्प के बारे में जानकारी दी।
इससे अब उन्हें काफी लाभ हो रहा है। वह यशोगाथा पढ़ कर अन्य किसानों से भी संपर्क करने लगे हैं। इसके साथ ही आरएमएल से मिली मौसम की जानकारी के हिसाब से वह अपना फसल प्रबंधन करने लगे हैं जिससे काफी फायदा हो रहा है।
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