ञान घटे नर मूढ़ की संगत।
बुद्धि घटे चित विषय भरमाए।
तेज घटे पर नारी की संगत।
बुद्धि घटे बहु भोजन खाये।
प्रेम घटे नित ही कुछ मांगत।
मान घटे नित पर घर जाए।
दयाल कहे सुन रे मन मूरख।
पाप घटे हरि के गुण गाए।
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ञान घटे नर मूढ़ की संगत।
बुद्धि घटे चित विषय भरमाए।
तेज घटे पर नारी की संगत।
बुद्धि घटे बहु भोजन खाये।
प्रेम घटे नित ही कुछ मांगत।
मान घटे नित पर घर जाए।
दयाल कहे सुन रे मन मूरख।
पाप घटे हरि के गुण गाए।