हाँ जी, मेहता जी, सही दिशा पकड़ी है अपने, लाखों लफ्ज़ लिखने से अच्छा एक अच्छी तस्वीर हो जिससे हम अपने मुताबिक कह सकें। कहे हुए लफ्ज तो अच्छे लगें या न लगें पर तस्वीर चाहे कितनी भी बुरी हो कभी गलत नहीं लगती क्यूंकि सबका देखने और सोचने का नजरिया अलग अलग होता है। अपने तो फिर भी फूलों और रौशनी से जगमगाती तस्वीर दी है। यह तो जिंदगी में उजाला करने के लिए काफी है।
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