हमारे दल के मंदिर में
हसीं पत्थर की मूर्त है
मुहब्बत के गुलाबों से
उसे हर दिन सजाते हैं
बिल्ली दे के तमन्नाओं की
हम इस को भी मनातेहैं
और अपने दिल को
इस मूर्त के आगे
हम झुकाते हैं
हमें मालूम है ये बुत
हमें कुछ दे नहीं सकता
मगर फिर भी हमें इस बुत से
हद दर्जा मुहब्बत है
img credz: pixabay.com
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