सैलरी एक ऐसी चीज है जिसके बारे में लोग कॉलेज और स्कूल टाइम से ही सोचना शुरू कर देते हैं. कई बार किस क्षेत्र में मोटी सैलरी मिलेगी इसको ध्यान में रखकर ही लोग अपने विषयों का चयन करते हैं. जब पढ़ाई के बाद नौकरी लग जाती है तो समय के साथ तरक्की पाते है और कई नौकरियां बदल कर एक अच्छी सैलरी पर पहुंच जाते हैं. अगर हम देंखे तो अक्सर लोग अपनी पहली नौकरी से लेकर रिटायरमेंट तक सिर्फ अपनी सैलरी पर ही निर्भर रहते हैं और उसको ही बढ़ाने के तरीकों को आजमाते रहते हैं. कुछ इसी तरह से लोग नौकरी और सैलरी के जाल में ही फंस कर रह जाते है और आर्थिक रूप से लोग इससे सवतंत्र होकर सोच भी नहीं पाते हैं. इसका कारण स्पष्ट है कि लोग सैलरी पर पूरी तरह से निर्भर होते हैं.
हम आपसे अगर पूछे कि आपने कभी सैलरी पर अपनी निर्भरता खत्म करने के बारे में सोचा है? क्या आपने कभी ज़िंदगी में इसके लिए थोड़ा समय निकाला है? शायद आपका जवाब ना में ही होगा. आखिर क्या है वित्तीय आजादी? यह वह स्थिति है जब आपके पास अपने खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसा होता है. जब आपको अपने भविष्य के लक्ष्यों को पाने की चिंता नहीं रह जाती है. लेकिन, हर महीने निश्चित सैलरी मिलने पर भी कर्इ बार मासिक खर्च पूरे करने में मुश्किल आ जाती है. क्या बावजूद इसके वित्तीय आजादी हासिल की जा सकती है? यह मुमकिन है. सही प्लानिंग से आप मासिक सैलरी के बंधन से मुक्त हो सकते हैं. इसे छह आसान कदमों से हासिल किया जा सकता है.
पहला कदम
बचत और निवेश करो
फिजूल खर्चों को काटकर अपने वेतन का कुछ हिस्सा जरूर बचाना चाहिए. यहीं से निवेश का रास्ता खुलेगा. अपनी सैलरी का कम से कम 20-25 फीसदी निवेश करने के लिए बचाएं. आप जितना अधिक बचाएंगे, आपका पैसा उतना ही बढ़ेगा. पैसे से पैसा बहुत जल्दी बनता है. अगर आप 10 फीसदी की चक्रवृद्धि ब्याज दर पर एक हजार रुपये लगाते हैं तो पहले दशक में यह बढ़कर 2,593 रुपये और दूसरे में 6,727 रुपये, तीसरे में 17,449 रुपये, चौथे में 45,259 रुपये और पांचवें में 1,17,390 रुपये हो जाएगा. अब जरा सोचिए कि अगर आप सैलरी में 20-25 फीसदी बढ़ोतरी का निवेश करते हैं और उसे बचाते चले जाते हैं तो यह कितनी बड़ी रकम हो जाएगी!..
दूसरा कदम
पोर्टफोलियो में इक्विटी की अच्छी हिस्सेदारी हो
अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में इक्विटी में निवेश अपेक्षाकृत कम समय में बढ़ता है. निवेश की शुरुआत जल्दी और उचित तरीके से करने पर कुछ सालों में अच्छी-खासी दौलत बनार्इ जा सकती है. इक्विटी निवेश बहुत कम समय में आर्थिक आजादी हासिल करने में मददगार साबित हो सकते हैं.
तीसरा कदम
सिप का रास्ता अपनाएं
अगर आप इक्विटी में एकमुश्त निवेश नहीं कर सकते हैं तो सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (सिप) के जरिए पैसा लगाएं. सिप ने निवेशकों में अनुशासन की आदत विकसित की है. इक्विटी म्यूचुअल फंड में हर महीने एक हजार रुपये के सिप के साथ 30 साल में 35.5 लाख रुपये जुटाए जा सकते हैं.
चौथा कदम
लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्लान बनाएं
अपने लक्ष्यों (शादी, स्वास्थ्य, शिक्षा) के लिए हमेशा अलग-अलग तरह की रणनीति रखें. उन्हें पाने का समय तय करें. स्थितियों को देखते हुए प्लान के हिसाब से निवेश की शुरुआत करें.
पांचवां कदम
जोखिम का प्रबंधन करें
आपात स्थितियों के लिए लिक्विड फंड रखें. इस तरह की जरूरत के लिए आपको कितने पैसे की जरूरत होगी, इसका पता लगाने की कोशिश करें. इसी के हिसाब से इमर्जेंसी फंड बनाएं. इसके पीछे मकसद सिर्फ इतना होता है कि आपात जरूरतों के कारण वित्तीय तैयारी पर असर नहीं पडे़. तय किए जा चुके लक्ष्य के लिए योजना के अनुसार निवेश जारी रह सके.
छठा कदम
समय-समय पर निवेश की समीक्षा जरूरी
थोड़े-थोड़े समय पर उठापटक का दौर आता ही है. इससे घबराना नहीं चाहिए. जिन शेयरों में निवेश किया है उनकी बुनियादी बातों पर फोकस करें. निवेश का प्लान तैयार हो जाने के बाद उसकी निगरानी करते रहें. तटस्थ होकर अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें. अगर वाकर्इ लगता है कि किसी स्कीम या शेयर को बदलने की जरूरत है तो ऐसा करने में हिचकिचाएं नहीं.
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